इंसानियत का उदाहरण – निस्वार्थ मददगार भाई
आज के स्वार्थी और व्यस्त दौर में जहाँ लोग अक्सर सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं, ऐसे में अगर कोई इंसान बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करता है, तो वह किसी फरिश्ते से कम नहीं होता।
चाहे सड़क पर घायल किसी अनजान को अस्पताल पहुँचाना हो, भूखे को खाना खिलाना हो, या फिर किसी मजबूर की मदद करना — यह भाई हर बार निस्वार्थ भाव से आगे आया।
उसने कभी जात, धर्म, या पहचान नहीं देखी, बस ज़रूरतमंद की पीड़ा को समझा और मदद का हाथ बढ़ाया।
आज जब अच्छाई खोजनी पड़ती है, तब ऐसे लोगों का होना एक उम्मीद की किरण है। समाज को ऐसे ही दिलों की ज़रूरत है।
सच में — सलाम है इस भाई को।

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